दस वर्ष से छोटी आयु के बच्चों के पेट में दर्द की शिकायत होना एक आम सी बात है । कभी कभार तो मात्र शौच करके ही यह ठीक हो जाती है परन्तु उन्हें इसका ज्ञान नहीं होता है । वह तो ऐसा ही कहते हैं कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है । कारण चाहे कुछ भी हो परन्तु माता पिता के लिए अपने बच्चों को दर्द में तड़पते देखना परेशानी का कारण तो है ही और आप उन्हें इस तकलीफ से उबारना भी चाहेगें । इस संबंध में हम नीचे कुछ सुझाव दे रहे हैं :-
बच्चों के पेट में दर्द होने की स्थिति में घरेलू उपचार
प्रारम्भ में पेट में दर्द का उपचार घर में ही करने की कोशिश जानी चाहिए क्योंकि अधिकांश मामलों में इसी से काम चल जाता है । नीचे दी गई स्थितियों का अध्ययन करें तथा यह जान लें कि किस स्थिति में आपको डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए :
दर्द से आराम के लिए झटपट किए जाने वाले उपायों में कुछ उपाय नीचे दिए गए हैं :
दर्द निवारण के लिए झटपट किए जाने वाले कुछ उपाय निम्नानुसार हैं:
- अपने बच्चे को सीधा लिटाकर दर्द का स्थान सुनिश्चित करें ।
- सादा पानी, पतला जूस अथवा अन्य कोई दूसरा निर्मल पेय पिलाएं ।
- अगर आपके बच्चे को भूख लग रही है तो उसे हल्का एवं नरम भोजन दें । कड़ा अथवा मसालेदार भोजन अथवा डेरी उत्पाद, कैफेनेटिड अथवा कार्बोनेटिड पेय न दें ।
- अपने बच्चे को शौच के लिए प्रोत्साहित करें ।
- उसका ध्यान बटाने के लिए कोई कहानी सुनाएं अथवा टेलीविजन देखने के लिए आग्रह करें ।
डाक्टर से परामर्श प्राप्त किए बिना किसी प्रकार की पैरासिटामोल अथवा आईब्रफिन जैसी दवा न दें क्योंकि दर्द का कारण जाने बिना ऐसी दवा से परेशानी बढ़ सकती है । इसके अलावा यदि डाक्टर ने किसी प्रकार के बैक्टिरियल इंफेक्शन का निदान (डायग्नोज) किए बिना एन्टीबॉयटिक का परामर्श दिया हो तो उसका प्रयोग न करें ।
डाक्टर से परामर्श कब लिया जाना चाहिए
कभी कभी पेट में दर्द की शिकायत किसी गम्भीर स्थिति का सूचक भी हो सकती है जिसके लिए विशेषज्ञ की देख रेख में उपचार किया जाना आवश्यक होता है । दर्द संबधी जो कुछ भी हो जैसे इससे संबंधित किसी प्रकार की उल्टी, शौच होने अथवा डायरिया होने की कोई घटना हो तो याद करने का प्रयास करें और बेहतर होगा इसे नोट कर लें कि कब और कैसे आपके बच्चे को यह परेशानी हुई थी । इस जानकारी से आपके फिजिशियन को निदान (डायग्नोज) करने में आसानी होगी ।
यदि आपके बच्चे को निम्नलिखित में कोई शिकायत है तो डाक्टर से परामर्श करें:
- यदि 24 घंटे के पश्चात् भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आता है ।
- अत्याधिक पेट दर्द होने के लक्षणों में बारम्बार बढ़ोतरी हो रही है ।
- पेट में दर्द किसी एक भाग तक ही सीमित है ।
- पेट में सूजन अथवा मृदुलता (छूने पर दर्द होना) है ।
- श्रोणि अर्थात पेडू एवं जांघ के जोड़, नितम्बों इत्यादि जैसे अन्य क्षेत्रों में दर्द अथवा सूजन है ।
- अनवरत उल्टी करना अथवा डायरिया होना ।
- उल्टी अथवा शौच के साथ रक्त आने के विकट संकेत प्रतीत होना ।
- अस्पष्ट कारणों से बुखार आना ।
- हाल ही में पेट में किसी प्रकार की चोट लगना ।
- सांस लेने में कठिनाई होना ।
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