बड़ी नस्ल के कुत्तों का सामान्यतया प्रभावित करने वाली आनुवांशिक परेशानी है हिप डिस्प्लेसिया, जो छोटे कुत्तों में भी हो सकती है। जब हिप के बॉल और सॉकेट जोड़ ठीक ढंग से नहीं बन पाते तब यह तकलीफ होती है। इसके कारण वे ठीक से फिट नहीं होते और बॉल और उसका सॉकेट आपस में घिसते रहते हैं।
कुछ कुत्तों में हिप डिस्प्लेसिया बिना कोई लक्षण दिखे भी हो सकता है। ये साधारण मामले होते हैं। किसी भी उम्र के कुत्तों, यहां तक कि पपी में भी हिप डिस्प्लेसिया हो सकता है। हालांकि यह स्थिति कुत्ते के जीवन में अंत में या बीच में बन ही जाती है। कुछ कुत्ते अपना पूरा जीवन बिना या कम लक्षणों के गुज़ार लेते हैं और केवल जीवन के अंतिम समय में इस रोग के कारण तकलीफ महसूस करते हैं।
अगर आपका कुत्ता इस स्थिति से परेशानी महसूस कर रहा है तो हिप की कठोरता और दर्द के कारण वह उठने में दिक्कत महसूस करेगा। अगर आपका कुत्ता व्यायाम, उछलकूद और सीढ़ियां चढ़ने में दिलचस्पी नहीं लेता तो हो सकता है कि इसका कारण उसके हिप की समस्या हो। गंभीर लक्षणों में मरी हुई चाल और बनी-हॉपिंग यानी टेढ़ी-मेढ़ी चाल है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण आप अपने कुत्ते में देखें तो उसे पशु चिकित्सक के पास ले जाकर उसका इलाज करवाएं।
आपका पशु चिकित्सक उसका परीक्षण कर यह जांचे कि उसे हिप डिस्प्लेसिया है या नहीं। हिप संबंधी परीक्षण और रेडियोग्राफ भी ज़रूरी हो सकते हैं।
हिप डिस्प्लेसिया का इलाज सर्जरी द्वारा संभव है जैसे हिप बदलना। इसके साथ ही इस रोग को डाइट, व्यायाम, ज्वाइंट सप्लीमेंट, मसाज और दवाओं के द्वारा भी ठीक किया जा सकता है या इसके दर्द की रोकथाम की जा सकती है।
आपके कुत्ते की स्थिति के अनुसार, पशु चिकित्सक ही बता सकेगा कि उसके लिए किस तरह का इलाज सबसे अनुकूल है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है जिस पर ध्यान देना चाहिए कि आपके कुत्ते का वज़न सही है या नहीं। अतिरिक्त वज़न से कुत्ते के जोड़ों पर बुरा असर पड़ता है खासकर कुविकसित कुत्तों पर।
गंभीर हिप डिस्प्लेसिया के शिकार कुत्ते बेहद दर्द महसूस कर सकते हैं। यहां कुछ तरीके बताए जा रहे हैं ताकि अपने अपने पॅट की तकलीफ में उसकी सहायता कर सकें:
– अपने कुत्ते के हिप पर हल्के से मसाज करें, गोलाई में हाथ घुमाते हुए, रोज़ 5-10 मिनट। अगर आपको लगे कि आपका कुत्ता यह पसंद नहीं कर रहा तो न करें।
– सुनिश्चित करें कि आपके कुत्ते के सोने का स्थान साफ, सूखा और हल्का गर्म है ताकि उसकी हिप समस्या और न बढ़े। एक स्थिर और कुशनयुक्त सतह पर लेटना उसके लिए अधिक आरामदायक होगा।
– फिसलन भरी और टाइल वाली सतह पर मैट्स आदि बछाएं ताकि उसके गिरने या लड़खड़ाने का जोखिम न हो। हिप डिस्प्लेसिया से ग्रस्त कुत्तों को चिकनी सतह पर चलने में बेहद मुश्किल होती है।
– पशु चिकित्सक से उसका पूरा और सही परीक्षण करवाएं। यह रोग आर्थराइटिस में बदल सकता है इसलिए अपने कुत्ते का बहुत ध्यान रखें ताकि वह अच्छी सेहत के साथ लंबा जीवन जी सके।
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