चिकनपॉक्स यानी चेचक सर्वविदित और संक्रामक रोग है जिसे कई लोग त्वचा पर पड़ने वाले एक खास किस्म के दाग या रैश के कारण पहचानते हैं। जो इसके बारे में अनभिज्ञ हैं, बता दें कि ये रैश या निशान छोटी-छोटी लाल फुंसियों जैसे होते हैं जिनमें खुजली होती है। यह रोग एक विषाणु के कारण है जिसे वेरिसेला-ज़ॉस्टर वायरस (वीज़ेडवी) कहते हैं। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है और बच्चों, वयस्कों व जिनका प्रतिरोधी तंत्र मज़बूत न हो, उन्हें गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह हवा के ज़रिये संक्रामक रोग है जो खांसने और छींकने से फैलता है। यह रोग किसी और को उस स्थिति में भी हो सकता है जब कोई किसी चेचकग्रस्त मरीज़ के आसपास रहे।
लक्षण एवं पहचान
संक्रमित व्यक्ति द्वारा दर्शारूे जाने वाले लक्षणों के आधार पर चेचक की पहचान की जाती है। चेचक के विशेष लक्षणों में चेहरे, छाती, पीठ और फिर पूरे शरीर पर पड़ने वाले निशान हैं। ये निशान समय के साथ खुजली वाली फुंसियों में बदलते हैं जिनमें द्रव भर जाता है। ये फुंसियां या छाले करीब एक हफ्ते में पपड़ी में बदल जाते हैं। यह रोग पांच से दस दिनों में ठीक होता है जिसके अन्य लक्षण ये हैं:
तेज़ बुखार
थकान
भूख न लगना
सिरदर्द
जो लोग चेचक का टीका लगवा चुके हैं, वे भी विषाणु की चपेट में आ सकते हैं औश्र इस रोग से ग्रस्त हो सकते हैं। लेकिन उन लोगों में इस रोग के हल्के लक्षण ही दिखते हैं।
इलाज
चेचक का कोई इलाज नहीं है। लेकिन परेशान करने वाले लक्षणों से छुटकारा पाने और खुजली वाली त्वचा को ठीक करने के लिए कुछ तरीके ज़रूर हैं। कई लोग जौ का आटा इस्तेामल करने का सुझाव देते हैं, या तो पेस्ट लगाकर या संभव हो तो इसमें नहाकर। नीम के पेड़ की डाल से मरीज़ को हल्के से हवा करना भी एक तरीका है। इस डाल की पत्तियां हल्के से मरीज़ के शरीर को छुआने से खुजली में राहत मिलती है। त्वचा को न रगड़कर और अपने नाखून छोटे रखकर भी आप त्वचा के संक्रमणों से बच सकते हैं।
बुखार का इलाज किया जा सकता है लेकिन एस्पिरिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, खासकर बच्चों के मामले में क्योंकि यह गंभीर प्रतिक्रियात्मक स्थिति बना सकती है। चेचक के कारण आने वाले बुखार के सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें। इस रोग से ग्रस्त उन लोगों को कभी-कभी एंटिवायरल इलात भी दिया जाता है जिनमें किसी और गंभीर रोग के होने की आशंका हो। इस बारे में जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें। इस श्रेणी में वे लोग हैं जिन्हें पहले पहले चेचक नहीं हुआ, जिनका प्रतिरोधी तंत्र कमज़ोर है, जिनकी उम्र 12 साल से ज़्यादा है या जो गर्भवती हों। कुछ और लक्षणों के दिखने पर आप तुरंत अधिक चिकित्सकीय परामर्श लें जैसे अगर बुखार चार दिन से या 102 डिग्री फैरेनहाइट से ज़्यादा हो, पस के कारण दिखने वाले बैक्टीरियल संक्रमण, लगातार उल्टी, सांस में तकलीफ और अन्य किसी रोग के गंभीर संकेत।
बचाव
चेचक से बचाव का सबसे असरदार तरीका तो टीकाकरण ही है। दि इंडियन ऐकेडमी ऑफ पेडियाट्रिशियन्स का सुझाव है कि इसके दो डोज़ दिलवाने चाहिए, पहला 15 से 18 माह की उम्र के बीच और दूसरा 4 से 6 साल की उम्र के बीच। हालांकि, कैच-अप टीके किसी भी समय दिलाये जा सकते हैं। वेरिसेला वैक्सीनेशन से ज़्यादातर मामलों में बीमारी से बचाव संभव है। टीका लिये हुए व्यक्ति को अगर यह रोग होता है तो सामान्यतया हल्के लक्षण दिखते हैं। टीके से चेचक के कारण होने वाले दूसरे रोगों से भी बचाव संभव है जैसे इससे दाद से बचाव होता है जो त्वचा की दर्दनाक स्थिति हो सकती है। अगर आपने इसका टीका नहीं लगवाया और आप इस रोग से ग्रस्त होते हैं तो डॉक्टर से परामर्श लें और उचित इलाज करवाएं।
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