इसके नाम और इस तथ्य के बावजूद कि जून 2015 तक ज़्यादातर मामले अरेबियाई क्षेत्र में थे, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) कहीं भी हो सकता है। 2003 में दुनिया भर में फैलने वाले एसएआरएस और फ्लू की भांति ही, एमईआरएस भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। एमईआरएस को समझने के लिए वैज्ञानिक काम कर रहे हैं जो पहली बार 2012 में पता चला था। इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आने के जोखिम को कम करने के लिए इसके लक्षणों और इसके फैलने के बारे में जानकारी रखने से मदद मिल सकती है।
क्या पता है एमईआरएस के बारे में?
हम जानते हैं कि एमईआरएस एक विषाणु कोरोनावायरस के कारा होता है। कोरोनावायरस विभिन्न किस्मों में पाया जाता है, जो श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है (श्वास नलिका और फेफड़ो को)। सर्दी से जुड़े कई सामान्य रोग इसी विषाणु के विविध प्रकारों से होता है, एसएआरएस भी, यानी इससे उपजी बीमारी सामान्य से जानलेवा भी हो सकती है। फिलहाल एमईआरएस को जानलेवा बीमारियों की श्रेणी में माना जा रहा है क्योंकि यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज़ कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार अब तक, एमईआरएस के शिकार हर 10 में से 3-4 लोग जान गंवा चुके हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के शिकार जैसे डायबिटीज़, कैंसर या फेफड़ों, दिल, गुर्दे के रोगों के शिकार या कमज़ोर प्रतिरोधी तंत्र वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। जो मामूली तौर से एमईआरएस के शिकार होते हैं या जिनमें इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखते, वे पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं।
लक्षण
एमईआरएस से ग्रस्त लोगों को बुखार होता है, साथ में कफ और सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके अलावा डायरिया, मितली और उल्टी भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
एमईआरएस के रोगी अधिक गंभीर समस्याओं के भी शिकार हो सकते हैं जैसे निमोनिया (फेफड़ों में होने वाला एक आंतरिक संक्रमण) या किडनी फेल होना (दोनों किडनी खून साफ करना बंद कर देती हैं)। इससे मौत तक हो सकती है।
माना जाता है कि विषाणु के प्रविष्ट होने से लेकर लक्षण दिखने के बीच सामान्य तौर से पांच से छह दिन लगते हैं। हो सकता है कि लक्षण दो दिन में ही दिख जाएं या संभव है कि दो हफ्ते बाद भी दिखें।
इलाज
विशिष्ट रूप से एमईआरएस के लिए कोई औषधीय चिकित्सा उपलब्ध नहीं है। शुरुआती इलाज दिखने वाले लक्षणों से निपटने के लिए किया जाता है और गंभीर मामला होने पर प्रभावित एवं महत्वपूर्ण अंगों को बचाने के मकसद से होता है।
बचाव
माना जाता है कि कफ के द्वारा यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे को हो सकती है, जैसे सांस की दूसरी बीमारियां फैलती हैं। एमईआरएस के रोगियों की देखभाल करने वाले लोगों को इस रोग का खतरा ज़्यादा होता है। जो बीमार हैं उन्हें अपने मुंह को कवर करना चाहिए ताकि दूसरे इससे संक्रमित न हों।
सर्दी और फ्लू से बचाव की भांति ही लोगों को सामान्य स्वास्थ्य संबंधी सुझाव दिये जाते हैं:
- नियमित एवं अच्छी तरह से हाथ धोना
- साबुन न होने पर हैंड सेनेटाइज़र का प्रयोग
- बिना धुले हाथों से अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छुएं
- बीमार व्यक्तियों के साथ शारीरिक संपर्क जैसे चुंबन या जूठे बर्तनों के इस्तेमाल से बचें
- समय-समय पर कई लोगों द्वारा दुई जाने वाली चीज़ों जैसे दरवाजे के नॉब्स वगैरह को साफ और निष्संक्रमित करें
अगर आप या आपके संपर्क में कोई व्यक्ति पहले बताये गये लक्षणों से ग्रसित है, खासकर सांस में दिक्कत से, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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