खाद्य पदार्थों के विज्ञापन बच्चों को लक्ष्य करते हैं और हाई कैलरी/कम पोषक सामग्री का प्रचार करते हैं, जिससे बच्चे भोजन संबंधी गलत आदतों के शिकार होकर मोटापे, हृदय रोग, डायबिटीज़ और अन्य रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं। अभिभावक इस तरह की सूचनाओं को बच्चों तक पहुंचने से रोक नहीं सकते और ऐसा करना शायद ठीक होगा भी नहीं। फिर भी, अभिभावक बच्चों को इन सूचनाओं के बारे में जागरूक कर सकते हैं और इन्हें सही दृष्टि से देखना सिखा सकते हैं। कैसे? इस बारे में कुछ उपाय यहां दिये जा रहे हैं:
1. विज्ञापन कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं। छोटे बच्चे अक्सर यह समझ नहीं पाते कि कहानी के बीच में ये दूसरी सूचनाएं क्यों आ जाती हैं। आप इन सूचनाओं के मकसद के बारे में बताएं कि यह इसलिए दिखायी जाती हैं कि लोग ये उत्पाद खरीदें। विज्ञापन की पहचान करने करने को एक खेल बनाएं। विज्ञापन के समय को बाथरूम जाने, एक गिलास पानी पीने या खड़े होकर स्ट्रेच करने के लिए इस्तेमाल करें।
2. उत्पादों के प्लेसमेंट को लेकर जागरूक हों। अध्ययनों में पता चला है कि 2-3 साल के बच्चों को ब्रांड्स के बारे में समझ होती है। कंपनियों ने विज्ञापन का नया तरीका खोजा है और वे अपने ब्रांड को किसी कार्यक्रम या फिल्म में ही स्थान दे देते हैं, निर्माता भी इससे पैसे कमाते हैं। अगली बार आप किसी फिल्म या कार्यक्रम में किसी खास ब्रांड को देखें तो समझें कि हो सकता है कि यह अनायास न हो। ऐसे उत्पादों को पहचानने का खेल खेलें और बच्चों को समझाएं कि यह भी विज्ञापन है ताकि हम इस उत्पाद को खरीदें।
3. याद रखें, बात सेहत की है, मोटापे की नहीं। बच्चों को सेहत के प्रति सचेत रखना मकसद है मोटापे के प्रति नहीं। तो, जंक फूड के सेवन से मोटापा बढ़ने की बातों के बजाय यह बात करें कि इससे शरीर के अंदर सेहत किस तरह खराब होती है।
4. सेहत का महत्व। इस बारे में चर्चा करें कि सेहत क्यों ज़रूरी है। इस चर्चा को उन चीज़ों से जोड़ें जो बच्चों के लिए महत्व रखती हैं। उदाहरण के लिए, ज़्यादा शकर और फैट का असर उनके तेज़ दौड़ने पर पड़ता है। ज़्यादा प्रोटीन के सेवन से मांसपेशियां बनती हैं और ताकत आती है, जिससे वे गेंद ताकत से फेंक सकते हैं या ज़्यादा चढ़ सकते हैं।
5. साथियों का दबाव। आपका बच्चा देख सकता है कि दूसरे बच्चे अपनी इच्छानुसार चीज़ें खाते-पीते हैं तो वह क्यों नहीं। इसके लिए तैयार रहें।
आप समझा सकते हैं कि हो सकता है कि दूसरे अभिभावक जंक फूड के नुसान के बारे में जानकारी न रखते हों। इस तरह भी समझा सकते हैं कि विज्ञापनकर्ता जंक फूड को बेचने के लिए ऐसा प्रचारित करते हैं कि स्मार्ट या कूल लोग इसे खाते हैं।
6. अपने निर्णयों को समझाएं। इस बारे में बात करें कि आप उत्पादों का चयन कैसे करते हैं और एक की जगह दूसरे को तरजीह क्यों देते हैं। अपने बच्चे को अपने साथ खरीदारी के लिए ले जाएं। पैकेजिंग की तुलना से समझाएं कि बच्चों को लुभाने के लिए कैसे पैकेजिंग की जाती है। अगर आपका बच्चा थोड़ा बड़ा है तो खाद्य पदार्थ की सामग्री और पोषक मूल्यवत्ता की सूचनाओं पर बात करें।
7. उन्हें निर्णय लेने दें। यह बेहद मुश्किल और अव्यावहारिक होगा कि जंक फूड को सिरे से खारिज कर दिया जाये। इसे सीमित रखने और बच्चे को खुद अपने चयन के बारे में सीखने का मौका देने के लिए आसान तरीका है उसे एक भत्ता दें। यह भत्ता एक जंक फूड आइटम के दाम से ज़्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन उसे अपनी इच्छानुसार खर्च करने के लिए दें। पता करें कि आपके बच्चे ने उस भत्ते का इस्तेमाल कैसे किया, क्या उसने किताब खरीदी, या कोई खिलौना या भत्ते जोड़कर कोई कपड़ा।
विज्ञापनकर्ता कैसे खाद्य पदार्थों को वास्तविकता से अधिक लुभावना बताकर बेचते हैं, इस बारे में कई वीडियो भी उपलब्ध हैं। इन्हें अपने बच्चे के साथ देखें, सिर्फ चित्र ही काफी कुछ समझा देते हैं। यहां एक उदाहरण है।
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