कम उम्र में आत्म नियंत्रध सीखना सुधारता है जॉब की संभावना


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बच्चों को थोड़ा सा नियंत्रण सिखाना किसी भी उम्र में जल्दी नहीं होता। एक अध्ययन के अनुसार कम उम्र में ही बच्चों का आत्म नियंत्रध सिखाने से वे वयस्क होकर एक बेहतर वर्किंग लाइफ जी सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो बच्चे आत्म नियंत्रण रखते हैं वे उन बच्चों की तुलना में जो यह क्षमता नहीं रखते, वे बड़े होकर 40 फीसदी कम बेराज़गार रहते हैं।

ऐसा संभवतः इसलिए होता है क्योंकि जो बच्चे अपनी क्रियाओं और शब्दों पर नियंत्रण रखते हैं वे ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं, ठीक से व्यवहार कर पाते हैं, और मुश्किल काम दिये जाने पर आसानी से हार नहीं मानते।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अध्ययन के अनुसार सात साल के बच्चों में आत्मनियंत्रण की पैमाइश की गई और नतीजों को बुद्धिमत्ता, सामाजिक स्तर, पारिवारिक पृष्ठभूमि और स्वास्थ्य आदि से जोड़कर देखा गया। शोध के मुताबिक आत्म नियंत्रण न होने और वयस्क होने पर बेराज़गार होनके बीच में स्पष्ट संबंध है।

1980 के दौरान आयी मंदी के समय, जो बचपन में आत्म नियंत्रण नहीं रखते थे, उनकी नौकरियां सबसे पहले गईं, जो कि बाकी लोगों की तुलना में बहुत ज़्यादा था और ऐसे लोगों को दूसरी नौकरियों मिलना भी कठिन साबित हुआ। इसके अलावा उनकी बेरोज़गारी के और भी कारण थे जैसे तनाव, दक्षताओं का न होना, बुरी आदतें और नींद लेने के अनियमित समय।

आत्म नियंत्रध, स्वप्रेरणा के ही तरह जन्मगत माना जाता है लेकिन लोग इसे व्यवहार की अनुकूलता से सीख सकते हैं। आपके लिए शायद यह कठिन हो लेकिन यहां कुछ तरीके दिये जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप बच्चे को आत्म नियंत्रण सिखा सकते हैं।

– खेलना, यह एक आसान उपाय है। बच्चे के साथ ग्रीन लाइट, रेड लाइट जैसे गेम खेलें। आप कहें ग्रीन लाइट तो वह चले और आप कहें रेड लाइट तो वह रुक जाये। फिर इसके बाद बच्चे को यह कहने दें और आप चलें। यह वास्तव में यह सिखाता है कि बच्चा थोड़ी देर रुककर सुने और सोचे बजाय इसके कि वह उत्तेजित होकर प्रतिक्रिया करता रहे। शोध के मुताबिक जिन बच्चों में आत्म नियंत्रण बेहद कम होता है, ऐसे तरीकों से उनमें सुधार आता है।

– योजना बनाना। अपने बच्चे को समय और गतिविधियों को लेकर एक योजना बनाना सिखाएं। जैसे कि बजाय बच्चे को होमवर्क करने का आदेश देने के उससे कहें कि वह एक प्लान बनाये कि दिन भर में उसे कब होमवर्क करना है। उन्हें उस प्लान में कुछ खाली समय रखने के बारे में भी समझााएं जिसमें वह अपने ढंग से समय बिता पाने के लिए स्वतंत्र हो। इसके बाद कभी-कभी आप उसे देखते रहें और पूछते रहें कि वह अपने बनाये प्लान को कितना फॉलो कर रहा है। अगर वह नहीं कर रहा है तो उसे याद दिलाएं कि यह उसका बनाया शेड्यूल है। धैर्य रखें धीरे-धीरे उसमें अच्छी आदतें पड़ जाएंगी और मुश्किल के दिन गुज़र जाएंगे।

– संतुलित रहें, और अपने आत्म नियंत्रण से बच्चे को भी सिखा सकते हैं जैसे उसे अच्छे व्यवहार या समय पर काम का पुरस्कार देने में जल्दबाज़ी नकरें। देर होने पर इंतज़ार करें न कि अपना धीरज खोएं। वरना वह समझेगा किरस्कार पाना मुश्किल कोई ऐसी-वैसी ही बात है।

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