बच्चों के लिए ज़रूरी हैं रोज़मर्रा के घर के काम


Photo: SG | Dollar Photo Club

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अगर आप यह सोचते हैं कि बच्चे को स्कूल और ट्यूशन भेजने और तरह-तरह की गतिविधियों में उलझाये रखने से उनके भविष्य की हर मांग आप पूरी कर सकते हैं तो फिर से सोचिए कि कहीं इस चक्कर में आपका बच्चा सीखने के महत्वपूर्ण अनुभव से वंचित तो नहीं हो रहा, जो वह घर में अपने से बड़ों के रोज़मर्रा के जीवन से सीख सकता है।

वॉल स्ट्रीट पत्र के एक लेख में विकासमूलक मनोवैज्ञानिक और प्रकाशित होने वाली किताब ‘रेज़िंग कैन-डू किड्स’ के सह लेखक रिचर्ड रेंडे के हवाले से लिखा है कि ‘‘अभिभावक आजकल बच्चों की सफलता के लिए कई चीज़ों में समय लगाते हैं लेकिन इसके उलट हम भूल गये हैं कि सफलता का एक मूल मंत्र है – वह है घर में रोज़मर्रा के काम। कई दशकों के अध्ययन इन कामों के लाभ साबित कर चुके हैं जिनसे अकादमिक, भावनात्मक और व्यावसायिक रूप में फायदे होते हैं।’’

पियानो, शतरंज या फ्रेंच सीखने से आपके बच्चे का दिमागी विकास संभव है लेकिन परवरिश के पुराने तरीकों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए – रोज़मर्रा के कामों में बच्चे को सहभागी बनाने से उसमें ज़िम्मेदारी की भावना और आत्मविश्वास का विकास होता है।

मिनेसटा यूनिवर्सिटि के प्रोफेसर मार्टी रॉसमैन ने 2002 में प्रीस्कूल स्तर के, 10 साल के आसपास के, 15 साल के और 20 से ज़्यादा उम्र के कई क्षेत्रों के बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि जो बच्चे 3 से 4 साल की उम्र में घर के रोज़मर्रा के कामों में संलग्न रहे, वे वयस्क होने पर उन बच्चों की तुलना में जिन्होंने ये काम टीनेज में करना शुरू किये थे, अकादमिक रूप से और अपने विभिन्न रिश्तों और दोस्तों के साथ रिश्ते में भी ज़्यादा सफल पाये गये।

लेकिन इन कामों में मज़ा आना नहीं पाया जाता और बच्चों को इसके लिए अतिरिक्त कोशिशें करनी पड़ती हैं। अगर आपके बच्चे का स्कूल के बाद का समय भी बहुत व्यस्तता भरा है तो इन कामों को उसके शेड्यूल में महत्वपूर्ण तरह से शामिल करें। लेकिन इस तरह करें कि बच्चा परेशान न हो जाये।

शुरुआत छोटे-छाटे कामों से करें और धीरे-धीरे कामों का स्तर मुश्किल करें ताकि बच्चा उसे लेकर उत्साहित रहे। यह भी सुनिश्चित करें कि ये काम सिर्फ उसके भले के लिए न हों जैसे अपने कमरे की सफाई। इसके बजाय उसे ऐसे काम दें जो पूरे परिवार के लिए ज़रूरी हों जैसे खाना परोसना या बर्तन साफ करना। इससे वह उन कामों को महत्वपूर्ण समझना सीखता है जो घर में रोज़ किये जाते हैं।

औश्र यह भी शायद सबसे ज़रूरी है कि मन मारने वाले घर के काम न दें। उसके कामों को लेकर शिकायतें करना या डांटना उसे इन कामों से विमुख कर सकता है।

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