रिबोफ्लाविन से प्राप्त होने वाले 6 स्वास्थ्य लाभ


6 health benefits of Riboflavin

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रिबोफ्लाविन पानी में घुलनशील एक प्रकार का बी विटामिन है तथा इसे  विटामिन बी2 के नाम से भी जाना जाता है ।  यह विटामिन रैड ब्लड सैल के निर्माण के लिए आवश्यक होता है तथा इससे पाचनशीलता, त्वचा एवं शरीर के अन्य अंगों का विकास एवं क्रियाशीलता प्रभावित होती है । यह शरीर से कार्बोहाइड्रेट्स को निकालने में भी सहायक होता है ।

रिबोफ्लाविन का भंडारण शरीर में किया जाना संभव नहीं होता अत: इसकी खपत रोजमर्रा आधार पर होती है तथा इसकी शेष मात्रा की निकासी मूत्र के माध्यम से हो जाती है । यह विटामिन समृद्ध खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है जैसे  डेरी पदार्थ, अंडे, फलीदार पौधे, बादाम, मॉस तथा हरी सब्जियां आदि  ।

व्यक्तियों में इसकी कमी को पूरा करने के लिए  ब्रेड तथा अनाज जैसे कुछ अन्य खाद्य पदार्थों  में रिबोफ्लाविन शामिल कर दिया जाता है । इस विटामिन से युक्त खाद्य पदार्थों को प्रकाश से दूर रखा जाना चाहिए क्योंकि ऐसा होने से यह विटामिन नष्ट हो जाता है ।

सांता मोनिका, कैलीफोर्निया के प्रोविडेंस सैंट जॉन हैल्थ सेन्टर में महिला स्वास्थ्य विशेषज्ञ शेरी रोज का यह कहना है कि “रिबोफ्लाविन का प्रयोग चमड़ी, पाचन क्रिया प्रणाली को सुव्यवस्थित करने, ब्लड सैल एवं अन्य महत्वपूर्ण अंगों के विकास एवं क्रियाशीलता के लिए भी किया जाता है ।”

रिबोफ्लाविन से होने वाले कुछ स्वास्थ्य लाभ निम्नानुसार हैं :-

माईग्रेन सहित सिरदर्द से बचाव

दुखदायी माईग्रेन से होने वाले सिर दर्द के लिए विटामिन बी 2 एक माना हुआ उपचार है ।  जो अक्सर माईग्रेन से पीडि़त रहते हैं उनके लिए 400 मि.ग्रा. का एक सामान्य डोज पर्याप्त है ।

आंखों की तंदुरूस्ती के लिए

स्वस्थ कोरनिया तथा सही दृष्टि सुनिश्चित करने के लिए रिबोफ्लाविन की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण है । मिशीगन  (Michigan) यूनिवर्सिटी के अनुसार इस विटामिन की आवश्यकता ग्लुटाथियोन (glutathione) से संरक्षा के लिए पडती है जो आंखों के लिए अत्यावश्यक ऑक्सीकरण रोधक का कार्य करता है । रिबोफ्लाविन से युक्त पूरक आहार तथा नायसिन के प्रयोग से भी मोतियाबिन्द से बचा जा सकता है ।

जख्मों को भरने में सहायक

टिश्यू एवं कोष्ठिकाओं के अनुरक्षण में रिबोफ्लाविन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है । कोष्ठिकाओं के विकास और उनकी मरम्मत के लिए इसकी आवश्यकता पड़ती है ।  यह जख्मों को भरने के लिए  भी काफी तेजी से कार्य करता है ।

प्राकृतिक रोगरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक

विटामिन बी 2 एन्टीबॉडिज द्वारा की जाने वाली समन्वय प्रक्रिया के लिए आवश्यक होता है । इससे प्राकृतिक रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे संक्रमण इत्यादि से बचाव के लिए रक्षण प्रणाली मजबूत होती है तथा एन्टीबॉडिज रिजर्व सशक्त हो  जाते हैं ।

एन्टी ऑक्सीडेंट प्रॉप्रटिज प्राप्त होती हैं जिससे कैंसर से रक्षा होती है 

विटामिन बी 2 एन्टीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है तथा  मौलिक विलक्षणों की क्रिया को संतुलित करता है । इससे हृदय संबंधी बीमारियों एवं कैंसर से भी बचाव होता है ।

बालों तथा त्वचा को स्वस्थ बनाता है ।

रिबोफ्लाविन से त्वचा एवं बालों के लिए आवश्यक कोलाजेन नामक प्रोटीन के भरण पोषण में सहायता मिलती है । यह कफ (मयूक्स ) (mucus ) के स्राव को नियंत्रित करने में सहायक होता है जिससे त्वचा नम रहती है । तदनुसार इससे एक्जीमा तथा डरमाटिटीस (dermatitis)  जैसी समस्या से भी बचाव होता है ।

रिबोफ्लाविन की न्यूनता के लक्षण

रिबोफलाविन की न्यूनता के लक्षण असामान्य होते है तथा कुछ लक्षणों में एनीमिया, त्वचा विकार, गले में खराबी, मुंह में छाले तथा मयूक्स मेमरेनस (mucus membranes ) जैसे लक्षण होते हैं । आप अपनी आवश्यकता के अनुरूप रोज रिबोफ्लाविन तथा अन्य विटामिनों का उपयोग कर सकते हैं ।  इस विटामिन को विविध प्रकार के खाद्य पदार्थों जैसे फल एवं सब्जियों व संतुलित आहार का उपयोग कर प्राप्त किया जा सकते हैं ।

आपकी वर्तमान आयु, लिंग तथा स्वास्थ्य के आधार पर आपके लिए अपेक्षित रिबोफ्लाविन की मात्रा का निर्धारण किया जा सकता है । उदाहरण के तौर पर यदि आप गर्भवती हैं तो आपको ज्यादा रिबोफ्लाविन की आवश्यकता है । यदि आप बीमार हैं तो ऐसी स्थिति में आपके लिए अपेक्षित मात्रा भी घट बढ़ सकती है ।  आपके शरीर को किस विटामिन की जरूरत है और उसकी पूर्ति किस प्रकार की जा सकती है इस संबंध में अपने डाक्टर से सलाह करें ।

यहां हम मेडिसिनप्लस में बताए अनुसार सामान्य दिशानिर्देश प्रस्तुत कर रहे हैं :

  • 0 – 6 माह: 0.3* मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • 7 – 12 माह: 0.4* मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • 1 – 3 वर्ष: 0.5 मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • 4 – 8 वर्ष: 0.6 मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • 9 – 13 वर्ष : 0.9 मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • पुरूष आयु 14 तथा अधिक : 1.3 मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • महिला आयु 14 से 18 वर्ष : 1.0 मिलि‍ग्राम प्रति दिन
  • महिला आयु 19 तथा अधिक: 1.1 मिलि‍ग्राम प्रति दिन

* पर्याप्त सेवन  (Adequate Intake (AI)

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