बार-बार हाथ धोने से कीटाणुओं से बचाव संभव


Here's how to feed your puppies

Photo: Shutterstock

कई संक्रामक रोग विशेषकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण जैसे इन्फ्लुएंज़ा और हेपेटाइटिस ए एक व्यक्ति से दूसरे में संदूषित हाथों के ज़रिये फैल सकते हैं। महत्वपूर्ण उपायों में से एक है अपने हाथ साफ रखना। इससे आप खुद बीमार पड़ने से बच सकते हैं साथ ही किसी और को अपने कीटाणु देने से भी। कुनकुने पानी और साबुन के साथ मलकर हाथ धोने से सूक्ष्मजीव और हाथ की गंदगी साफ होती है।
यूनिवर्सिटि ऑफ साउथैम्पटन के शोधकर्ताओं द्वारा डिज़ाइन की गई एक ऑनलाइन पहल प्रिमिट संक्रमण फैलने से रोकने के जोखिम को घटाने के लिए बार-बार हाथ धोने का प्रचार कर रहा है। मेडिकल जर्नल दि लैंसेट में जिसके नतीजे छपे, उस अध्ययन में यूके के 16000 परिवारों को शामिल किया गया और अध्ययन सर्दियों के समय किया गया जब फ्लू का खतरा अधिक होता है।
इसमें पाया गया कि जिन्होंने उस पहल को अपनाया उनमें संक्रमण का सामान्य खतरा 14 फीसदी कम हुआ। जिन प्रतिभागियों ने फ्लू का खतरा 20 फीसदी कम होना महसूस किया उन्होंने देखा कि उन्हें कम एंटिबायोटिक्स की ज़रूरत पड़ी।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेलथ की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख के अनुसार, यूनिवर्सिटि ऑफ साउथैंप्टन के प्रोफेसर पॉल लिटिल ने जर्नल न्यूज़ को बताया कि ‘‘एक सरल और सस्ता इंटरनेट कार्यक्रम जो हाथ धोने के बारे में प्रचार करता है, उसी के कारण संक्रमण का खतरा 14 फीसदी कम हुआ है। चूंकि ज़्यादातर लोग कफ, सर्दी, गले की सूजन और अन्य सांस संबंधी संक्रमण से ग्रस्त होते हैं, इस एक तरकीब से सामान्य लोगों में इन कीटाणुओं या विषाणुओं का असर कम किया जा सकता है और सर्दियों में हेल्थ सेवाओं पर बढ़ने वाले दबाव को घटाया जा सकता है।’’
प्रो. लिटिल का कहना है कि आम तौर से लोग अपने हाथ दिन में छह बार धोते हैं लंकिन यह संख्या 10 हो जाये तो संक्रामक रोगों के फैलने में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। यह उनके लिए विशेष रूप से प्रभावी होगा जो प्रतिरक्षा तंत्र की समस्याओं के कारण रोगग्रस्त होते हैं।
प्रिमिट कार्यक्रम चार हफ्तों के सत्र में बताता है कि इस उपाय को नियमित रूप से अपनाने के मेडिकली सिद्ध फायदे क्या हैं। प्रतिभागियों को सिखाया जाता है कि कैसे वे विषाणुओं से बच सकते हैं और अपने हाथ धोने की आदत को कैसे जांच सकते हैं। प्रतिभागियों को 16 हफ्तों तक ट्रैक किया जाता है और एक प्रश्नावली के ज़रिये उनकी प्रतिक्रियाएं ली जाती हैं।
प्रो. लिटिल का कहना है कि चूंकि इंटरनेट कई लोगों की पहुंच में है इसलिए इस माध्यम से बड़े समूह को स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों के बारे में जागरूक किया जा सकता है जबकि हेल्थकेयर सेवाएं केवल मरीज़ों तक ही पहुंच रखती हैं।
नीदरलैंड्स की एक यूनिवर्सिटि के प्रो. क्रिस वैन वील के अनुसार, इस तरह के सस्ते कार्यक्रम न केवल संक्रमण का खतरा कम करने में सहायक हैं बल्कि लोक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। उन्होंने कहा ‘‘जांचकर्ताओं ने संक्रमण से बचाव के प्रति बेहतर प्रबंध दर्शाया है क्योंकि एंटिबायोटिक्स का उपयोग कम हुआ है। यह एंटिबायोटिक्स के प्रतिरोध की समस्या संबंधी नीतियों के साथ समन्वय भी दर्शाता है।’’

यदि आप इस लेख में दी गई सूचना की सराहना करते हैं तो कृप्या फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक और शेयर करें, क्योंकि इससे औरों को भी सूचित करने में मदद मिलेगी ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *