जितने दिखते हैं, उससे ज़्यादा स्मार्ट होते हैं शिशु


Babies are smarter than they sound

Photo: Absoluteindia | Dreamstime.com

ऐसा लगता है कि नवजात कुछ नहीं समझते या कुछ समझने के योग्य नहीं होते। चूंकि शिशु कुछ बोलकर बता नही सकते इसलिए हम इस गलत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं। कुछ शोध दर्शा चुके हैं कि हम जितना समझते हैं शिशु उससे कहीं ज़्यादा स्मार्ट होते हैं और सूचनाओं को भले ही वे व्यक्त न कर पाएं लेकिन उन्हें प्रोसेस कर लेते हैं। एक शोध में संकेत है कि एक साल से कम उम्र के शिशु ‘समान’ और ‘भन्न’ के बीच संबंध स्थापित करने की समझ रखते हैं।

एनालॉजिकल एबिलिटि अर्थात एप्टिट्यूड वह गुण है जो चीज़ों, घटनाओं और विचारों में एक सामान्य संबंध स्थापित कर लेता है। यह एक योग्यता है जो मनुष्यों को दूसरे पशुओं से अलग करती है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटि में हुए एक शोध में पाया गया है कि नवजातों में एनालॉजिकल योग्यता होती है जो कुछ ही उदाहरणों के बाद प्रदर्शित होने लगती है।

शोध संचालक और मुख्य लेखक एलिसा फेरी का कहना है ‘‘इसका मतलब है कि मानवीय बुद्धि का एक मूल गुण मानव के विकास के प्रारंभ में ही मौजूद होता है और इसको सीखने के लिए भाषा सीखने की ज़रूरत नहीं है।’’

अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने देखा कि क्या सात महीने का शिशु सामान्य संबंध स्थापित कर पाता है यानी दो चीज़ों के बीच समानता या भिन्नता का बोध उसे होता है। शिशुओं को दो समान या भिन्न चीज़ों के जोड़े दिखाये गये जैसे दो गुड़िया या फिर एक गुड़िया और एक खिलौने का हाथी। इन जोड़ों को जितनी देर शिशुओं ने देखा, वह नोट किया गया।

एक आदर्श संबंध दिखाने वाले जोड़ों को देखने में नवजातों ने ज़्यादा समय लिया। यह तब भी हुआ जब प्रयोग के दौरान उन जोड़ों को बदल दिया गया। सामान्य शब्दों में, शिशुओं को जब एक जैसी दो चीज़ें दिखाई गईं तब उनहोंने ज़्यादा समय लिया और उनके बीच के संबंध को समझा जबकि असमान चीज़ों के मामले में इसका उल्टा हुआ। इस व्यवहार का अर्थ यह निकाला गया है कि नवजातों ने वस्तुगत संबंध स्थापित करना सीखा।

वीनबर्ग में मनोविज्ञान के प्राध्यापक और अध्ययन के सह लेखक डेड्रे गेंटनर का कहना है ‘‘हमारे अध्ययन में नवजात 6 से 9 उदाहरणों को देखने के बाद समानता या भिन्नता का संबंध बनाने में सफल रहे। इसका अर्थ है कि मनुष्यों में, वह भी बहुत शुरुआत में, सापेक्षता सीखने की समझ होती है जो अन्य पशुओं से अलग करती है।’’ बबून्स पर किये गये एक ताज़ा अध्ययन में पता चला है कि पशु समान और भिन्न के बीच संबंध समझने में 15000 प्रयोगों के बाद कामयाब होते हैं।

तो ध्यान दीजिए। अगर आपका बच्चा बोलता नहीं है और अर्थहीन शोर करता है तो इसका मतलब है कि उसके मन में बहुत कुछ चल रहा है। अभिभावक आदि शिशु के मानसिक विकास में सहायता करने के लिए उसे नयी चीज़ों और परिस्थितियों में ले जा सकते हैं। शिशु हालांकि कुछ कहेगा नहीं, लेकिन वह गौर करेगा और कुछ सीखेगा ज़रूर।

यदि आप इस लेख में दी गई सूचना की सराहना करते हैं तो कृप्या फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक और शेयर करें, क्योंकि इससे औरों को भी सूचित करने में मदद मिलेगी ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *