ज़रूर जानें: खतरनाक है एस्बेस्टस और हर जगह है


ज़रूर जानें: खतरनाक है एस्बेस्टस और हर जगह है

कुछ बच्चों की रंगीन पेंसिलों यानी क्रेयॉन्स और यूएस में बिकने वाली क्राइम लैब प्ले किट्स में एस्बेस्टस की कुछ मात्रा पायी गयी है। इसके बाद चिंता का महौल है क्योंकि एस्बेस्टस के कारण फेफड़ों का कैंसर और अन्य रोग हो सकते हैं। क्रेयॉन्स के कारण बच्चों के एस्बेस्टस के संपर्क में आने को लेकर यूएस के बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित हैं जबकि भारत में बच्चे इससे भी बड़े पैमाने पर एस्बेस्टस के संपर्क में हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ ही दिनों तक एस्बेस्टस के संपर्क में रहने स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। एस्बेस्टस के कण श्वास द्वारा शरीर में जाने पर फेफड़ों और मीज़ोथेलियम यानी आंतरिक अंगों पर रहने वाली झिल्ली का कैंसर हो सकता है। एस्बेस्टस की कितनी मात्रा घातक नहीं है, कुछ कहा नहीं जा सकता।

एस्बेस्टस प्राकृतिक रूप से उपलब्ध खनिज है जिसमें उष्मा और आग के प्रति प्रतिरोध के गुण होते हैं। यह फाइबर जैसा या सोन पपड़ी जैसा दिखने वाला होता है। इसे सीमेंट के साथ मिलाया या फेब्रिक के साथ बुना जा सकता है। 1900 के आसपास इसका इस्तेमाल बहुत होता था लेकिन पिछले 30 सालों में इसके खतरे पता चलने के बाद यूरोप के कई देशों और जापान, दक्षिण कोरिया, तुर्की में प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि यूएस और कनाडा में यह प्रतिबंधित नहीं है लेकिन इसके संपर्क में आकर बीमार पड़े लोगों द्वारा कानूनी वाद दायर किये जाने के बाद इसके उपयोग को बहुत सीमित किया गया है।

एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, भारत दुनिया में एस्बेस्टस के सबसे बड़े आयातकों में है। ज़्यादातर एस्बेस्टस को छत की चादरें, दीवारों के पैनल और पाइप बनाने में सीमेंट के साथ मिलाया जाता है।

एस्बेस्टस का सर्वाधिक उत्पादन रने वाले देशों में रूस, चीन, ब्राज़ील और कज़ाकस्तान हैं। 2011 तक कनाडा अपेक्षाकृत रूप से इसका छोटा उत्पादक और निर्यातक था लेकिन उसी साल इसके खनन को प्रतिबंधित कर दिया गया।

यूएस की एक सलाहकार संस्था एनवायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप एक्शन फंड द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, क्रेयॉन्स के 28 में से 4 ब्रांडों में परीक्षण के बाद एस्बेस्टस होना पाया गया। बच्चों की क्राइम लैब प्ले किट्स के मामले में 21 में से 2 में फिंगरप्रिंट परीक्षण पाउडर में एस्बेस्टस पाया गया।

बहुत अधिक आशंका है कि खेलते वक्त बच्चे इस फिंगरप्रिंट पाउडर के कणों को सांस के ज़रिये शरीर में ग्रहण कर सकते हैं। छोटे बच्चे क्रेयॉन्स को दांतों से चबा सकते हैं। एक बार एस्बेस्टस के शरीर में प्रविष्ट होने पर बच्चे में लंबे समय बाद कोई रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

न्यूयॉर्क में माउंट सिनाई अस्पताल में प्रोफेसर फिलिप लैंड्रिगन ने बयान में कहा कि “बच्चों के खिलौनों में एस्बेस्टस होने के खतरे को नाजायज़ माना जाना चाहिए। अब की तरह 2000 और 2007 में आखिरी बार बच्चों से संबंधित उत्पादों में यह खतरनाक तत्व पाया गया था।“ फिलिप इस अध्ययन में शामिल नहीं है लेकिन उन्होंने इस अध्ययन की समीक्षा की है।

व्यावसायिक स्वास्थ्य में दक्षता रखने वाले यूएस के सेवानिवृत्त असिस्टेंट सर्जन रिचर्ड लेमेन कहते हैं ‘‘कुछ लोग सोच सकते हैं कि बच्चों को इससे ज़्यादा खतरा नहीं है लेकिन बच्चे ज़हरीले पदार्थों के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं और हम कार्सिनोजिन के संबंध में ऐसे मामले डील कर रहे हैं।’’

रिपोर्ट के अनुसार, क्रेयॉन्स और किट में एस्बेस्टस के इस्तेमाल का कारण स्पष्ट नहीं है। फिर भी, यंभावना है कि ‘‘यह टैल्क का कोई संदूषित तत्व हो सकता है जो क्रेयॉन्स में बांधने के लिए और फिंगरप्रिंट किट में इस्तेमाल किया जा रहा है’’। यह निष्कर्ष इसलिए निकाला गया है क्योंकि एस्बेस्टस का इस्तेामल अक्सर टैल्क पदार्थों में होना पाया गया है।

एम्सकैन क्रेयॉन्स, डिज़नी मिकी माउस क्लबहाउस क्रेयॉन्स, निकोलोडियन टीनेज म्यूटेंट निन्जा टर्टल क्रेयॉन्स, सैबन्स पाउडर रेंजर्स सुपर मैगाफोर्स क्रेयॉन्स, एडुसाइंस डिल्यूव फॉरेंसिक्स लैब किट (काला फिंगरप्रिंट पाउडर) और इनसाइड इंटेलिजेंस सीक्रेट स्पाय किट (सफेद फिंगरप्रिंट पाउडर) में एस्बेस्टस पाया गया है। ये सभी उत्पाद चीन में बने हैं। न्यूज़पाई के पास पर्याप्त जानकारी नहीं है कि ये उत्पाद भारत में बिक रहे हैं या नहीं। इस तत्व से संबंधित परीक्षण नॉर्थ कैरोलिना के साइंटिफि एनालिटिकल इंस्टिट्यूट इन ग्रीन्सबोरो में किये गये।

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