बच्चों को आपसी विवाद का हल सिखाने से अभिभावकों की मदद


Kids learn to resolve sibling rivalry, parents win

Photo: ImagesBazaar

मिल-जुल कर रहने वाले बच्चों को पालना उन बच्चों के पालन से अधिक आसान है जो उलझते-झगड़ते हैं। बच्चों को शांति और समझदारी से आपसी झगड़े के हल के बारे में समझाने से अभिभावकों को भी कम तनाव होता है। पता चला है कि अभिभावकों खास तौर से मांओं को तनाव संबंधी समस्याएं बहुत कम होती हैं अगर ऐसा किया जाये तो।

एक अध्ययन के प्रमुख लेखक और इलनॉइस यूनिवर्सिटि के ग्रेजुएट नियंत्री रविंद्रन के अनुसार, जब बच्चे आपस में झगड़ते हैं तो वे सीखते हैं कि कैसे एक-दूसरे के साथ मतभेदों को खत्म किया जाता है, कैसे मनाया या समझौता किया जाता है। कई बार वे समस्याओं के बाद हल करने के तरीके को लेकर भी बहस करते दिखते हैं। रविंद्रन और उनके सहयोगी यह देखना चाहते थे कि बच्चों में सकारात्मक परिवर्तनों का अभिभावकों पर असर पड़ता है या नहीं। अध्ययन में, बच्चों ने एक कार्यक्रम मोर फन विद सिस्टर्स एंड ब्रदर्स में प्रतिभागिता की और अभिभावकों ने देखा। इस कार्यक्रम से बच्चों ने विवादों का सुलझाना और मिलजुलकर रहना सीखा।

यह कार्यक्रम यूनिवर्सिटि में प्रोफेसर और अध्ययन की सह लेखक लॉरी क्रेमर की निगरानी में हुआ। क्रेमर ने कहा कि ‘‘कभी-कभी हमें बच्चों को एक-दूसरे के साथ अच्छे बर्ताव के बारे में ठीक नज़रिये से समझाना चाहिए। हमें यह उम्मीद नहीं करना चाहिए कि एक छोटा बच्चा रिश्तों की मुश्किल बुनावट को अपने आप समझ लेगा।’’

यह कार्यक्रम पांच सत्रों में किया गया जहां चार से आठ साल के बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक स्किल सिखाई गईं जो सहोदरों के अच्छे संबंध में मददगार हैं। उदाहरण के लिए, बच्चों को सिखाया गया कि किसी भी विवाद को अपने सहोदर के नज़रिये से कैसे देखा जाता है। इन तरीकों के बीच उभरने वाले विभिन्न भावों के बारे में भी बात की गई। अभिभावकों ने ये सत्र देखे और उन्हें इस संबंध में कुछ साहित्य व गतिविधियों का ब्यौरा दिया गया ताकि वे घर पर भी सहोदरो के विवादों की स्थिति में उपयोग कर सकें।

जो बच्चे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, उनके अभिभावकों का एक नियंत्रित समूह बनाया गया और उन्हें कोई अतिरिक्त चीज़ें नहीं दी गईं।

विवाद-समाधान कार्यक्रम में मांओं और पिताओं दोनों ने ही कहा कि अपने बच्चों के विवाद के दौरान उपजने वाले नकारात्मक भावों में उन्होंने कमी देखी जब उनके बच्चों के विवाद सीमित हुए। खास तौर से मांओं, जिन्होंने सत्रों के दौरान बच्चों को देखा और घर पर भी गतिविधियों संचालित कीं, ने कार्यक्रम से सबक सीखे। बच्चों के विवाद के दौरान तब वे उन सबकों का उपयोग करने में भी सक्षम रहीं। साथ ही वे अपनी भावनाओं को अधिक तनाव वाले समय में ठीक से नियोजित कर सकीं।

क्रेमर ने कहा ‘‘देखा गया कि मांओं ने वे स्किल सीखीं जो बच्चों को सिखाई गई थीं और उन्होंने अपनी भावनाओं को नियोजित करने के लिए उनका इस्तेामल किया। उदाहरण के लिए मांओं ने उल्लेखनीय रूप से बच्चों के विवादों को सामान्यीकृत किया और एक असरदार अभिभावक की तरह भावनात्मक रूप से हस्तक्षेप भी कम किया।’’

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