बच्चे को बोलना सिखाने के 7 मददगार तरीके


बच्चे को बोलना सिखाने के 7 मददगार तरीके

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आपने यह सलाह सुनी होगी कि अपने बच्चे की बातचीत की क्षमता को विकसित करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप उनके साथ बात करें। यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इसमें कुछ और भी है। उदाहरण के लिए, सिर्फ बच्चे से बात करने से ही उसकी भाष दक्षता नहीं बढ़ेगी। आपको उनकी समझ और कम्युनिकेशन क्षमताएं विकसित करने में मदद करने के लिए दृश्यात्मक तरीकों और मुद्राओं को भी जोड़ना होगा। आपका बच्चा जल्दी बोलना सीखे और उसका शब्द कोष विस्तृत हो, इसके लिए यहां 7 शोध आधारित तरीके बताये जा रहे हैं।

  1. जिज्ञासा को पोसें: अगर आप अपने बच्चे को किसी चीज़ के प्रति आकर्षित देखें तो समझें कि वह उसके बारे में जिज्ञासु हैं। वह जो देख रहा है, वह उसे छूना, महसूस करना और जानना चाहता है। तो उस चीज़ के बारे में बच्चे से बात करें चाहे वह कोई घड़ी हो, खिलौना हो या कोई फल – इससे उसे उस चीज़ के रूप-स्वरूप और गुण के बारे में समझने में मदद मिलेगी।
  2. बच्चे से पूरी तरह जुड़ें: हो सकता है कि आप पूरा दिन बच्चे के साथ बात करें लेकिन शायद उन अवाचिक मुद्राओं पर ध्यान न दें जिनके ज़रिये वे प्रतिक्रिया कर रहे हैं। अपने बच्चे को अपनी बात का उत्तर देने का मौका दें भले ही वह उत्तर हाथ के इशारे या किसी मुद्रा से दे। उनके संप्रेषण पर ध्यान देते हुए तवज्जो दें ताकि वे समझ सकें कि आप ध्यान दे रहे हैं और उन्हें अपनी बात संप्रेषित करने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।
  3. सवालों के जवाब दें: बच्चे कुदरती रूप से जिज्ञासु होते हैं और कभी-कभी ज़्यादा सवाल करते हैं। याद रखें कि बच्चे यह समझने की कोशिश कर रहे होते हैं कि दुनिया कैसे बर्ताव करती है और उन्हें सही व तार्किक जवाबों के ज़रिये आप बेहतर समझा सकते हैं। कहानी सुनाते समय भी, अपने बच्चों को सवाल पूछने की इजाज़त दें और कहानी से जुड़े समानांतर पहलुओं पर बात करें और उन्हें वाचिक क्षमताओं को बढ़ाने वाली बातचीत के लिए प्रोत्साहित करें।
  4. शब्दों से अधिक: याद रखें संप्रेषणीयता केवल भाषा नहीं है बल्कि हाथों के इशारे, चेहरे के भाव, बोलने के अंदाज़ व स्वर व आवाज़ से भी जुड़ी है। बातचीत करते समय इन सबका इस्तेमाल करने से, या कहानी सुनाते समय इनका प्रयोग करने से बच्चों को संप्रेषण में सहयोगी इन मुद्रओं को समझने में मदद मिलती है।
  5. सरलता नहीं: छोटे बच्चे जो ठीक से बोलना नहीं सीखे हैं, उनके लिए बॉल या कैट जैसे शब्द आप बार-बार दोहरा सकते हैं लेकिन थोड़े बच्चों के शब्दकोष को बढ़ाने के लिए पूरे वाक्स बोलें लेकिन स्पष्ट और आसान तरीके से।
  6. जो कहा उसे दोहराइए: जो कहा उसे दोहराइए। जिसेने भी दूसरी भाषा के वाक्यों को सीखने की कोशिश की है, उसे पता है कि सही बोलने के लिए बार-बार सुनने का महत्व है। बच्चों के लिए भी यही बात है। उन्हीं शब्दों को बार-बार बच्चे के सामने लाने के लिए एक ही किताब को कई बार पढ़ना या सुनाना एक तरीका है। हो सकता है कि एक ही चीज़ को बीस बार पढ़ने से आप थक जाएं लेकिन बच्चों को पसंद आएगा। हो सकता है कि वे आपके साथ शब्दों को बोलना सीख लें।
  7. गांए: हमेशा बोलकर ही नहीं, आप बच्चों को गाकर भी भाषा सिखा सकते हैं। बच्चों को तुकबंदी वाली कविताएं पसंद होती हैं और वे आसानी से इन्हें याद भी कर लेते हैं। कुछ समय दोहराएं और फिर अचानक कभी किसी शब्द पर रुक जाएं और देखें कि बच्चा उसके आगे का शब्द बता पाता है या नहीं। रोज़मर्रा की गतिविधियों में ऐसे कुछ गानों को शामिल कर लें। अपने पसंदीदा गाने उन्हें सुनाएं या लोरियां भी।

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